उद्धार की निश्चयता भाग 01 उद्धार कि निश्चयता का अर्थ किया होता है????

 उद्धार कि निश्चयता                               29/05/2018

यीशु मसीह के साथ जीवन ब्यतीत करने के अलावा और कोई भी जीवन अदभुत नही है।हम अपने विश्वास के जीवन मे आनंद और आजादी का अनुभव तभी कर सकते है जब हमे मालूम होता है कि परमेश्वर के साथ हमारा संबंध सही है। जब तक केवल हम कल्पना करें कि हम परमेश्वर का संतान है तब तक हम भय,चिंता और अनिचयता से आजाद नही हो सकते।
     और हमें उसके सामने जो साहस होता है, वह यह है; कि यदि हम उसकी इच्छा के अनुसार कुछ माँगते हैं*, तो हमारी सुनता है।
                                                 (1यहोना 5:14)

📌उद्धार की निश्चयता⤵⤵

01:-उद्धार की निश्चयता का "अर्थ" क्या होता है ??
02:-उद्धार की निश्चयता "कोन"प्राप्त कर सकता है ??
03:-में उद्धार की निश्चयता "कैसे" प्राप्त कर सकता हूँ??
04:-मेरा उद्धार की निश्चयता का "आधार" किआ है ??
05:-उद्धार की निश्चयता का "परिणाम"किया होता है ??
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01:-उद्धार की निश्चयता का "अर्थ" किया होता हैं??

(A)"उद्धार" का अर्थ होता है ।जिसे हम यीशु मसीह के जीवन मृत्यु ओर पुनरुत्थान के द्वारा प्राप्त कर ते है।जिस ब्यक्ति इस छुटकारे को स्वीकार करता है, उसका उद्धार होता है।
    उद्धार की निश्चयता-ऐसा आंतरिक दॄढ विश्वास है जो हमे यह निश्चय दिलाता है कि हम परमेश्वर की संतान है, हमारे पाप क्षमा किये गए है तथा एक दिन हम यीशु मसीह के साथ हमेसा के लिए निवास करेंगे।।
       हालांकि बाइबिल में "उद्धार की निश्चयता" नामक शब्द का उपयोग नही पाया जाता है, फिर भी कई ऐसे बचन है एक मसीह विस्वास की निश्चयता को दर्शाता है।
 ●(B) बाइबिल के बचनों से साबित होता है !!
        बाइबिल में कई ऐसे बचन पाए जाते है  जो स्पस्ट बताता है कि परमेश्वर कि एक सन्तान के लिये यह संभव है: उसे इस बात की निश्चयता हो।
                           जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्‍वर का क्रोध उस पर रहता है।”  यहोना 3:36

 📖  पढ़ाई के लिए   ( रोमियो 8:16; 38-39,१ थेस्सालोनिकया 1:5, २ तीमुथियुस 1:12 , इब्रानियों 10: 22 ;11:1 , १यहोना 3:14; 5:11-13)

 ●यदि कोई ब्यक्ति आप से कहे: "में यह कहने का दुस्साहस कर सकता हूँ कि मुझे उद्धार की निश्चयता हो सकता है। आप उस ब्यक्ति को किआ उत्तर देंगे ???

●(C)भबिस्य के विषय मे बाइबिल किया कहती है!!

   यीशु मसीह द्वारा लाये गए उद्धार विशेष अर्थ ना केवल बर्तमान जीवन तक ही सीमित है वरन यह भबिस्य के लिए भी लाभदायक है।

a. उद्धार का तत्कालीन अर्थ( जो मुझे अभी प्राप्त हुआ है)

१यहोना 3:14
हम जानते हैं, कि हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुँचे हैं; क्योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं जो प्रेम नहीं रखता, वह मृत्यु की दशा में रहता है।
१यहोना 5:13
मैंने तुम्हें, जो परमेश्‍वर के पुत्र के नाम पर विश्वास करते हो, इसलिए लिखा है कि तुम जानो कि अनन्त जीवन तुम्हारा है।
यहोना 3:36जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्‍वर का क्रोध उस पर रहता है।”

b. उद्धार का अर्थ भबिस्य केलिए(जो मुझे बाद में प्राप्त होगा)

     १यहोना 3:2-3
2-हे प्रियों, अब हम परमेश्‍वर की सन्तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब यीशु मसीह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि हम उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वह है।3-और जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है*, जैसा वह पवित्र है।
रोमियों 8:24
आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहाँ रही? क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उसकी आशा क्या करेगा?>हमे उद्धार का पूर्ण अनुभव अभी प्राप्त नही हुआ है। अभी भी हमारा सामना पाप और शरीर की अभिलाषाओ  होता है।लेकिन हम जानते हैं कि एक दिन प्रभु यीशु के साथ होंगे,जहां हम इस सब बातों से आजाद रहेंगे।एक दिन जब हम प्रभु यीशु के साथ होंगे तथा प्रभु के उद्धार का पूर्ण अनुभव प्राप्त करेंगे तब हम किन परिवर्तनॉ की आशा कर सकते है
(प्रकाशितवाक्य 21:3-4)
3-फिर मैंने सिंहासन में से किसी को ऊँचे शब्द से यह कहते हुए सुना, “देख, परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्‍वर आप उनके साथ रहेगा; और उनका परमेश्‍वर होगा। (लैव्य. 26:11-12, यहे. 37:27)

4-और वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा*; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं।” (यशा. 25:8)

      ↪part 2 उद्धार की निश्चयता कौन प्राप्त कर सकता है??

                     Personal life and bible study

                BHAI:-NAROTTAM(NUTAN)
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