कितनी देर प्राथना करनी चाहिए???

कितनी देर प्राथना करनी चाहिए??
यह ओ प्रश्न है जो अधिकांस विस्वासियो द्वारा पूछा जाता है। परन्तु बाईबल में एक मसीह को कितनी देर प्राथना करना चाहिए उसके बारे में कोई निश्चित नियम नही बताया गया है।
बाईबल बताती है कि यीशु मसीह कितने देर प्राथना करते थे। 【और उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला,और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई।
लूका 6:12 】
यीशु सारी रात प्राथना में बिताया करते थे परन्तु कभी कभी वह केवल एक घंटे ही प्राथना करते थे-"फिर चेलों के पास आकर उन्हें सोते पाया, और पतरस से कहा, “क्या तुम मेरे साथ (एक घण्टे) भर न जाग सके? मत्ती 26:40।
बात यह है कि बाईबल प्राथना के किये जाने पर बल देती है कितने देर प्राथना की जाए इस पर नही।
इस प्राथना के बारे में यीशु की निर्देश स्पष्ट थे-👇👇
प्रार्थना करते समय अन्यजातियों के समान बक-बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बार-बार बोलने से उनकी सुनी जाएगी।
मत्ती 6:7।
सभोपदेशक भी छोटी प्राथनाए करने की ही सलाह देता है-
बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्वर के सामने निकालना, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों।
सभोपदेशक 5:2
बाइबिल स्पष्ट बताती है कि हमारी प्राथनाएं लम्बी नही परन्तु सामर्थी होना चाहिए। कोई हमारी जरूरत की समान के लिस्ट जैसे प्राथना के प्रति परमेश्वर का नज़रिया हमेशा नकारात्मक ही रहता है।
स्वयं प्रभु यीशु ने बिना मतलब की लम्बी प्रथनाओ करने वालो की जमकर आलोचना की थी।(लुका 20:45-47)।अतः बाइबलिय दृश्टिकोण से यह महत्वपूर्ण नही है कि हम कितने देर प्राथना करते है,
परन्तु महत्वपूर्ण यह है कि हम कैसे प्रार्थना करते है।
कुछ बडे पास्टर-बिसप लोग ऐसा भी शिक्षा देते है किएक विस्वासी कम से कम एक घंटा प्राथना करना चाहिए। उनका कहने का मतलब यकह है कि एक विस्वासी हर दिन एक घंटा प्राथना करने से ही वह आत्मिक रूप से बलबंत हो सकता हैं। परन्तु यह शिक्षा बाइबलिया नही है। बात तो यह है कि कुछ पास्टर या फिर बड़े अगवा करने बाले लोग अपनी ब्यक्तिगत अनुभव को पूरी कलीसिया
की एक टाइम टेबल बनादेते है जैसे वह करे वेसे कलीसिया भी करे,जो कि अति भयानक बाथ है।हर ब्यक्ति का प्राथना में समय बिताना अच्छा है,ओर उनका अनुभव भी अलग अलग होते ही। कई लो 10 मिनिट किया हुआ प्राथना में ही आत्मिक अनुभव प्राप्त लेते है, तो कोई 30 मिनिट करने पर आत्मिक अनुभव प्राप्त नही कर पाते
लम्बी प्राथनाएं करने का दुष्परिणाम यह है कि अधिकांश विस्वासी लम्बी प्राथनाएं ज्यादा दिनों तक जारी नही कर पाते है।और विस्वासी लम्बी प्राथनाए करने के चक्कर में विस्वासी ब्यर्थ बाते प्राथना में बोलने लगते है।जिस का कोई मैलोव ही नही है। यह प्राथना को एक घन्टे का time-pass कहा जासकता है। परंतु एक विस्वासी को खुद निर्णय लेना चाहिए कि वह कितना समय प्राथना करना चाहिए।और इसका मतलव यह भी नही है कि 2-5 मिनिट इसका वाब बास यह है कि मानो जेब मे हात डालें परमेश्वर से कहना"hello god ,how are you?"
परंतु नया नियम में ऐसा पौलुस बताता है कि जिस प्रकार एक स्त्री-पुरुष सहवास के समय एक तन हो जाते है वैसे ही एक विस्वासी
की आत्मा प्राथना के समय प्रभु की आत्मा के साथ एक आत्मा हो जाती है (1cor 6:16-17) प्राथना का अर्थ यह है प्रभु को पूर्ण रीति से "जानना"है। प्राथना,परकभु की आत्मा का हमारी आत्मा के साथ एक हो जाना है। यदि एक विस्वासी इन बाइबलिय मापदण्डो के आधार पर प्राथना करता है तो फिर यह मायाने नही रखता की वह कितनी देर प्राथना कर रहा है। इस प्रकार की प्राथना छोटी एवं लम्बी दोनो ही हो सकती है। अगर कोई छोटी प्राथनाएं करने पर ही प्रभु की आत्मा के साथ घनिष्ठ सम्बंद बना लेता है तो कोई बुराई नही है। परन्तु प्रश्न यह नही है कि आप कितनी देर प्राथना करते हो बल्कि यह है कि क्या आप प्राथना के द्वारा प्रभु की आत्मा के साथ एक आत्मा हो जाते है?
Thank you
Mobileprayertower Elohim
Narottam【Nutan】
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