क्या घुटनों में बेठकर प्राथना करना जरूरी है ??

विषय:-प्राथना
 Part:-5;-क्या घुटनों में बैठकर प्राथना करना जरूरी है??
प्राथना के समये एक सच्चे विश्वासी अधिकतर घुटनों के बल बैठकर प्राथना करते है।बाइबिल में प्राथना करने की सबसे महत्यपूर्ण मुद्रा घुटनो पर बैठना ही बताया गया हूं।यहक़ शारीरिक मुद्रा प्राथना करने बाले नम्रता का प्रतीक होता है।(एज्रा 9:5; प्रेरित 9:36,40; 21:3-6)। घुटनों पर बेठकर प्राथना करने का अर्थ स्पस्ट होता है।परमेश्वर के सामने घुटनों पर आने का अर्थ उसकी सर्वोच्चता को मैन लेना होता है। घुटनों पर बैठकर प्राथना करने का अर्थ है कि हम या मान लेते है कि परमेश्वर ही हक़मरे जीवन की स्वामी है।, ओ ही हमारा प्रभु ओर राजा है, ओ ही सर्बसक्तिमान ओर सर्वश्रेष्ठ अगर हम स्वाभाविक रीति से भी यदि हम देखे तो किसी के सामने घुटने टेक देने का अर्थ होता है,सामने वाले ब्यक्ति के समर्थ ओर शक्ति को मान लेना  ओर उसके अधीन हो जाना। केवल यही कारण है जिसकी वजह से घुटनों के बल बेठकर प्राथना किए जाने को महत्व एवं इस पर बल दिया जाता है। (यशा 45:23)।
          हम बाइबिल में पड़ते है कि बाइबिल में घुटनों पर बैठकर प्राथना  करने को  बहुत महत्यपूर्ण माना जाता है। दाऊद, सुलेमान, एलिय्याह, दानियेल, यीशु,प्रेरित, पौलुस इत्यादि सब घुटनों पर बैठकर ही प्राथना कर रहे थे।(2इति.6:13; 1राजा 19:18; दानियेल 6:6-11;
लुका 22:41; प्रेरित 9:40; 21:5)।घुटनों पर बेठकर प्राथना करना पूर्णतः बाईबलीय है। तथा इसमें कोई संदेह नही है कि परमेश्वर मांग करता है कि उसके लोग उसके सम्मुख घुटनों पर आए। घुटनों पर बैठकर प्राथना करना परमेस्वर को आदर देना एवं उसका सन्मान करना होता हैं।
       परन्तु आज इस बिषय में कई कलीसियाओ में ब्याप्त हो चुकी है। कई पास्टर  एवं प्रचारक प्रचार करते है की यदि आप घुटनों पर बैठकर प्राथना नही करते है तो परमेश्वर आपकी प्राथनाएं नही सुनता है। वही दूसरी ओर यदि कोई विश्वासी  किसी पास्टर या प्रचारक से कहता है कि उसके घुटनों में दर्द होता है जिसके लिए आप प्राथना करे ,तो तुरन्त वह पास्टर या प्रचारक उत्तर दे देता है की क्योंकि आप घुटने पर बैठकर प्राथना नही करते है इसलिए आपके घुटनों में दर्द रहता है। कई लोग ऐसे भी शिक्षा देते है यदि किसी मसीह के जीवन आंसू, प्राथना ओर घुटनों का जीवन नही है तो वह मसीह ही नही है। परन्तु यह बाइबलिय नही है। जैसे हम पिछले भाग में देखा था कि कई पास्टर लोग अपनी अनुभव को एक धर्मासिद्धान्त बना लेते है। यह बहुत ही भयानक बात हैं।
       बाइबिल में हम ओर कुछ ऐसे महापुरुषों के बारे में बताया गया है जिन्हें कभी घुटनों पर बैठकर प्राथना करते हुए हम नही देखते है। बाइबिल किसी भी मसीह को बाध्य नही करती है कि वह घुटनों पर बैठकर ही प्राथना करे। यदि मसीही घुटनों पर बैठकर प्राथना करते है तो यह बहुत ही अच्छा है। यह परमेस्वर को भी भाता है कि उसकी सन्तानो उसे अपने जीवनो में
इतना महत्यपूर्ण स्थान दे। परंतु यदि किसी कारणवाश कोई मसीही प्राथना में घुटने नही टेक पाता है तो वह कोई पाप नही ही। बीमारी ,बुजुर्ग अबस्था,चोट,दुर्बलता या किसी भी अन्य कारण से यदि कोई प्राथना में घुटने नही टेक पाता है तो प्रभु उस ब्यक्ति की परिस्थिति को समझ ता ओर जनता है। स्प्ष्ट है परमेस्वर मनुष्य की तरह संकीर्ण सोच नही रखता है।
(यशा 55:8-9)। परमेश्वर हर ब्यक्ति के मन के विचारों को जांचता ओर परखता है।तो हमको चाहिए कि हम बाइबिल को सरल बनाने का प्रयास करे न की स्वयं को प्रसन्न कर (रोमियो 15:1)। यदि किसी भी कारण से कोई व्यक्ति प्राथना में घुटने टेकने में असहाय है या असमर्थ है तो परमेश्वर उसे उसी स्थिति में ग्रहण करेगा। बाइबिल केवल मसीहीयों द्वारा प्राथना किए जाने पर बल देती है,कितनी देर, कितनी समय, किससे(पिता ,पुत्र या पबित्र आत्म) या कैसे प्राथना की जाए इस पर नही। परमेस्वर मसीहियों को इस बिसय में सम्पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करता है।
         ओर एक बात बाइबिल में कही भी नही कहा गया है हम आँख बंद करके प्राथना करे। हम अपनी परिस्थिति के अनुसार आँख  बंद करके प्राथना करते है।, ताकि प्राथना के दौरान  किसी भी कारण से  हमारा ध्यान टूट ना जाए। ओसवाल्ड जे• स्थिम अपनी सहूलियत के अनुसार आँखे खोल  हुए अपनी घर मे इधर-उधर  घूमते हुए जोर-जोर से प्राथना किआ करते थे। दुसरी ओर, जब हम किसी दुष्टआत्माग्रत ब्यक्ति के लिए प्राथना करते है तो हम हमेशा आंखे खोलकर ही प्राथना करते है । हम अपनी सहूलियत के अनुसार खुली आँखे से प्राथना करते है। ताकि दुष्टात्माग्रस्त  किसी भी प्रकार से कोई शारीरिक क्षति हमे न पुहंचा सके। परिस्थिति के आधार पर प्राथना करने का एक उदाहरण पौलुस द्वारा "आत्म में प्राथना"(मैन में प्राथना) करने के लिए दिया गया निर्देश भी है।
        अतः यदि आप घुटनों पर बैठकर प्राथना करते है तो यह बहुत अच्छा है । परन्तु किसी भी कारण से यदि आप घुटनों पर बैठकर प्राथना करने में असमर्थ है तो न बाइबिल ओर न परमेश्वर आपको दोषी ठहराते है।
                        Thank You
                         Bhai Narottam[Nutan]
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