The Pre- Existence Of Christ मसीह के पूर्व अस्तित्य John 1:1-5
The Gospel Of John
THE GOSPEL OF JOHN
The Pre- Existence Of Christ
मसीह के पूर्व अस्तित्य
John 1:1-5
The Gospel Of John was written for a simple Purpose…..
यूहन्ना का सुसमाचार एक साधारण उदेश्य के लिए लिखा गया था...
a. To produce faith in Jesus as the Christ, the son of God
यह विश्वास करना है की यीशु ही परमेश्श्वर के पुत्र मसीह हैं। jn:20:30-31a
To Share the “Life” that comes through such faith
इस तरह के विश्वास के माध्यम से “जीवन” को पा सकते हैं । jn:20:31b
2. To encourage us to have faith in Jesus Christ…… हमे यीशु मसीह में विश्वास रखने के लिए प्रोस्याहित करता है...
John begins his gospel with a prologue –jn:1:1-18
यूहन्ना एक प्रस्तावना के साथ अपने सुसमाचार को शुरू करता है।
2. In which he makes several claims as to who Jesus was?
वो यह बताने का प्रयास कर्राहा है की यीशु कोन थे ??
He refers to Jesus in this prologue as “the Word”
वोह इस सुसमाचार मे यीशु को “वचन” के रूप मे दर्शाता है।
b) That he refers to Jesus is evident from Verses 14-18
वोह यीशु को दर्शाता है :14-18 मे स्पष्ट से बता रहा है।
3.The very first claim pertains to The Pre- Existence Of Christ……बहुत पहले दावा मसीह के पूर्व अस्तित्य से संबदित है।
That he existed in the beginning, long before being born of Mary….cf.Jn.1:1-2
वो यह मरियम के जन्म से बहुत पहले से अर्थात सृष्टि के पहले से मौजूद था।
That his work in the beginning has great significance for us-cf.Jn1:3-5
शुरुआत मे उनके कम का हमारे लिए बहुत मोहत्य है।
मसीह पहले से था इसका प्रमाण EVIDENCE FOR THE PRE-EXISTENCE OF CHRIST
Foretold by the prophets…..
भविष्यद्क्ता वों के द्वारा पहले से ही बताया गया था।
मीका ने आने वाले मसीह के पूर्व-अस्तित्य की भविष्यवाणी की (मीका 5:2)
यशायाह ने राजा से “अनंत पिता” के रूप में आने की बात काही - (यशा 9:6-7)
जकर्याह ने आने के लिए मसीह के अपने वादे को दर्ज करते है। - जकर्याह 2:0-11
B. AFFIRMED BY JESUS HIMSELF…. खुद यीशु से प्रभावित......
अब्राहम के दिन मे अस्तित्व मे होने के दावे में – यूहन्ना 8:56-58
गिरफ्तारी ओर सूली पर चढ़ने से कुछ देर पहले उनकी प्रार्थना में। यूहन्ना – 17:4-5,24
दर्शन के माध्यम से यूहन्ना को बताया गया (प्रका 22:13)
C. DECLARED BY HIS APOSTLES.. उनकी प्रेरितों द्वारा घोषित
यूहन्ना ने अपने सुसमाचार में, ओर अपने अंश यूहन्ना 1:1-4 ,1यूहन्ना 2:14
पौलूस द्वारा अपने पत्री मे.......
कुरीन्थियों मे कलीसीय के लिए - 1 कुरीन्थियों 10:1-4 ; 2 कुरीन्थियों – 8:9
फिलिप्पी मे कलीसीय के लिए – फिलिप्पी 2:5-8
कुलुस्सियाँ मे कलीसीय के लिए- कुलु 1:16-17
D. ILLUSTRATED BY THE CREATION… सृजन द्वारा घोषित ( सृष्टि के द्वारा)
यीशु द्वारा सभी चीजें बनाई गई – jn 1:3 वो सब्द का (इस्तमाल 1:2-3)
निर्माण से पहले उनके अस्तित्व का मूल्यांकन - कुलु 1:16-17
उनकी सनातन सामर्थ्य ओर दिव्य स्वभाव के द्वारा – रोमि – 1:20
II. SIGNIFICANCE OF THE PRE-EXISTENCE OF CHRIST मसीह के पूर्व का महत्व
HE IS GOD..! वह परमेश्वर हैं
खासकर तब जब हम उसके पूर्व अस्तित्व की प्रकर्ति पर विचार करते हैं ।
उसका निकालना प्राचीनकाल से, वरन अनादि काल से होता है। (मीका -5:2)
इससे पहले की अब्राहम उत्पन्न हुआ मैं हूँ “I AM - Jn 8:58; cf Exo 3:13-14
जैसा की यूहन्ना अपनी सुसमाचार में स्पष्ट है – jn 1:1-2
वह “परमेश्वर” के साथ था (परमेश्वर के साथ एक व्यक्तिगत संपर्क स्थापित करना)
वह “परमेश्वर” था (स्पष्ट रूप से अपने परमेश्वर को बताते हुए)
-- Thus He is worthy of our love and adoration – cf. Jn 20:28
इस प्रकार वह हमारे प्रेम और आराधना के योग्य है।
B. HE IS LIFE...! वह जीवन है....!
जीवन के स्रष्टा ओर निर्वाहक होने के आधार पर।
उसके द्वारा सभी चीजें बनाई गईं - कुलु 1:16
सभी चीजें एक साथ आयोजित की जाती हैं उसके द्वारा - कुलु 1:17
फिर, जैसा की यूहन्ना अपनी सुसमाचार मे स्पष्ट करता है। jn 1:3-4
उसके बिना, कुछ भी नही बनाया गया था
उसी में जीवन था
-- Thus He gives us hope for our own resurrection! - Cf. Jn5:21; 11:25
इस प्रकार वह हमें अपने पुनरुत्थान की आशा देता है
c. HE IS LIGHT….! वह ज्योति है...!
हम अंधेरे की दुनिया में रहते हैं....We live in a world of darkness
जहां लोग अज्ञानता में ठोकर खाकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं।
उनकी अज्ञानता के कारण परमेश्वर के जीवन से अलग हो गए हैं। -cf. Eph 4:17-19
जीवन के निर्माता ओर निर्वाहक के रूप में......
यीशु दुनिया मे प्रकाश लाने के लिए विशिष्ट रूप से योग्य है। 1:4 में
वह हमे विश्वास दिलाने के लिए कहता है कि हम “ज्योति के पुत्र” बन सकते हैं – 12:35-36
--Thus Jesus offers us the “light of life” – jn 8:12
इस प्रकार यीशु हमे “जीवन का ज्योति” प्रदान करते हैं
CONCLUSION……..!
अफसोस की बात है, कई लोग यीशु के जीवन ओर ज्योति के प्रस्ताव का विरोध करते हैं....
कुछ ने उसे नष्ट करने की कोशिश की,लेकिन सफल नहीं हुए – Jn 1:5(NRVS)
कई लोग उससे बचने की कोशिश करते हैं, यहा जानकर की इसका मतलब उनकी जीवनशैली मे बदलाव होगा – cf. Jn 3:19-20
लिकिन यीशु के पास आने के इच्छुक लोगों के लिए....
वह हमे इस जीवन मे आशा और मार्गदर्शन प्रदान करता है -cf. Mic 5:4-5a
वह अपने वादों को पूरा करने में सक्षम है - cf. mt 11:28-30
“Whose goings forth are from of old, from everlasting” Mic 5:2
Thank You
May God Bless You
Narottam Nutan
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Praise God
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