"मसीह में एक जवान कैसा होना चाहिए?"
"मसीह में एक जवान कैसा होना चाहिए?"
मसीह में एक जवान होना सिर्फ उम्र से संबंधित नहीं है, बल्कि आत्मिक परिपक्वता, प्रतिबद्धता और पवित्र जीवन जीने की इच्छा से जुड़ा है। जब एक युवक या युवती अपने जीवन को यीशु मसीह को समर्पित करता है, तो उसका उद्देश्य केवल सफलता या आनंद पाना नहीं होता, बल्कि परमेश्वर की महिमा करना और उसकी योजना में चलना होता है।
1. आत्मिक रूप से मजबूत:
एक मसीही जवान को आत्मिक बातों में गहराई से बढ़ना चाहिए। यह प्रार्थना, बाइबल अध्ययन और आत्मिक संगति से होता है। जैसे पौलुस ने तीमुथियुस से कहा – "वचन, चालचलन, प्रेम, विश्वास और पवित्रता में आदर्श बन जा।" (1 तीमुथियुस 4:12)
2. संसार से अलग लेकिन उसमें चमकता हुआ:
यीशु ने कहा, "तुम संसार की ज्योति हो।" (मत्ती 5:14) मसीह में जवान को संसार की नकल नहीं करनी है, बल्कि उसमें प्रकाश बनकर उसे बदलना है। वह अपने स्कूल, कॉलेज, या कार्यस्थल में ईमानदारी, नम्रता और प्रेम का उदाहरण बनता है।
3. शुद्धता और पवित्रता में जीने वाला:
इस संसार में अनैतिकता और प्रलोभन बहुत हैं, लेकिन मसीह में जवान को यूसुफ की तरह संयम और आत्मसंयम दिखाना है। "युवक अपने मार्ग को कैसे शुद्ध रखे? — तेरे वचन के अनुसार उस पर चलकर।" (भजन 119:9)
4. सेवा और करुणा में आगे:
मसीही जवान सिर्फ अपने लिए नहीं जीता, वह दूसरों की भलाई के लिए जीता है। वह चर्च में सेवा करता है, ज़रूरतमंदों की मदद करता है, और मसीह के प्रेम को अपने कार्यों से प्रकट करता है।
5. परमेश्वर की बुलाहट को पहचानने वाला:
हर जवान के जीवन में एक बुलाहट होती है – कुछ को मिशनरी बनने के लिए, कुछ को पास्टर या शिक्षक बनने के लिए, और कुछ को समाज में गवाही देने के लिए। मसीही जवान को प्रार्थना और आत्मिक मार्गदर्शन द्वारा अपनी बुलाहट पहचाननी चाहिए।
निष्कर्ष:
मसीह में एक जवान केवल उम्र से जवान नहीं होता, वह आत्मा में भी जवान और जीवित होता है। वह मसीह का अनुयायी है जो अपने जीवन से दूसरों को प्रेरणा देता है। उसका लक्ष्य है – "सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिए करना।" (1 कुरिंथियों 10:31)
BR. NAROTTAM MAJHI
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